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एशियाई खेलों में सर्वोच्च स्थान पर रहते हुए चीन ने आतिशबाजी के बीच शनिवार 27 नवंबर को पर्ल नदी के हेईशिंशा द्वीप पर रंग, संगीत और सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत संगम के बीच अब तक के सबसे बड़े एशियाई खेलों को अलविदा कहा।
बारह नवंबर को यहीं उद्घाटन समारोह में चीन ने अपनी तकनीकी दक्षता दिखाई थी लेकिन आज चीन के इस दक्षिणी शहर की जनता ने अपने जोश से लोगों का मन मोह लिया। इन खेलों आयोजन से ग्वांग्झू के बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व सुधार हुआ जहां भारत ने पदक के लिहाज से एशियाई खेलों का अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। भारत 14 स्वर्ण, 17 रजत और 33 कांस्य पदक सहित रिकार्ड 64 पदक जीतकर छठे स्थान पर रहा। इसके साथ ही उसने 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों में जीते 57 पदकों के आंकड़े को भी पीछे छोड़ दिया।
समापन समारोह का इस्तेमाल मेजबान देश ने महाद्वीप की सांस्कृति विरासत की झलक पेश करने के लिए भी किया जिसमें दक्षिण एशियाई का प्रतिनिधत्व करते हुए भारतीय गायकों रवि त्रिपाठी और तान्या गुप्ता ने दर्शकों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मेजबान चीन इन खेलों में वैश्विक खेल महाशक्ति के अपने सिंहासन को बरकरार रखते हुए 199 स्वर्ण सहित 400 से भी अधिक पदक जीतकर चोटी पर रहा। कोरिया चीन से काफी पीछे दूसरे स्थान पर रहा जबकि जापान ने तीसरा स्थान हासिल किया। समापन समारोह में किलिंग [सौभाग्य का प्रतीक जानवर] के नृत्य ने सभी को हैरान किया जबकि एक्रोबैटिक्स और नृत्य के साथ खेलों की सफलता का जश्न मनाया गया।
नृतकों ने इस दौरान ‘ड्रैगन ड्रंक आन द पर्ल रीवर’, ‘पेंटिंग आफ ट्वाय फिगरिंग इन इमोशन’ और ‘विंड आफ याओ एथेनिक ग्रुप’ पर नृत्य पेश किया जबकि घोंघे के आकृति वाली स्क्रीन पर एशियाई खेलों के मैदान पर हुई प्रतिस्पर्धा की झलक दिखाई गई। इसके बाद चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ और एशियाई ओलंपिक परिषद के प्रमुख शेख अहमद अल फहद अल सबाह ने चीन के मिलिट्री बैंड की धुन के बीच आयोजन स्थल में प्रवेश किया। पांच सितारों वाला चीन का लाल ध्वज देश के राष्ट्रीय गीत के साथ फहराया गया। सेना के बैंड ने राष्ट्रगान की धुन निकाली थी। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हुआ जिसमें सपनों जैसा माहौल तैयार किया गया जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तेजी से बदलते रंगों और पानी में तैरती आकृतियां किसी परीकथा से कम नहीं थे।
ग्वांग्झू मेजर किंगलियांग ने एशियाई खेलों की मशाल ओसीए प्रमुख को सौंपी जिसके बाद उन्होंने इसे फिर इंचियोन के मेयर को दे दिया। इसके बाद दिल्ली में 1951 में पहले एशियाई खेलों में फहराए गए ध्वज और ओसीए ध्वज को कोरियाई प्रतिनिधियों को सौंपा गया। कोरिया ने मार्शल आर्ट्स ताइक्वांडो सहित कई अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए और इस दौरान स्क्रीन पर ‘वेलकम ट्र इंचियोन’ और ‘सी यू एट इंचियोन इन 2014’ लिखा था। समापन समारोह के अंत में आयोजन स्थल पर जबर्दस्त आतिशबाजी हुई जिससे पूरा आकाश रंगीन रोशनी से जगमगा उठा।
वीडियो में देखिए समापन समारोह की झलकियाँ
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