- 29 Posts
- 12 Comments
हाल में संपन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों से पूर्व हमने दो लक्ष्य रखे थे. पहला यह कि हम इस बार के राष्ट्रमंडल खेलों में कम से कम 91 पदक जीतेंगे और दूसरा कि हमारी कोशिश पदक तालिका में दूसरे नम्बर पर रहने की होगी. खेलों खत्म हुए और हमने दोनों लक्ष्य हासिल किया. जहां हमने खेलों में 101 पदक जीतें वहीं इंग्लैंड को पछाड़ते हुए हम दूसरे पायदान पर रहे.
लेकिन अब डगर कठिन हो गई हैं क्योंकि 10 दिनों में शुरू हो रहे हैं 16वें एशियाई खेल. एशियाई खेल यानि एशियन गेम्स “एक बहुराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता” जहां दिखेगा एशियन चीतों का जोश.
लेकिन क्या राष्ट्रमंडल खेलों की तरह एशियन गेम्स में भी भारत कामयाबी दोहरा पायेगा. अगर हम तथ्य देखें तो यह पता चलता है कि भले ही हमने राष्ट्रमंडल खेलों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया हो लेकिन जब बात एशियन गेम्स या ओलंपिक की आती है तो हम काफ़ी पीछे रह जाते हैं. पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में हमने 22 स्वर्ण पदक जीते और पदक तालिका में हमारा स्थान चौथे रहा. लेकिन एशियन गेम्स में यह संख्या घटकर 10 स्वर्ण पदक पर आ गई थी और हमारा स्थान भी आठवां रहा. यह तथ्य केवल 2006 के खेलों पर ही लागू नहीं हैं बल्कि 2002 के मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में भी हमने 30 स्वर्ण पदक जीते थे और हमारा स्थान भी पांचवा था लेकिन एशियन गेम्स में 10 स्वर्ण के साथ आठवें स्थान पर रहें.
बात यहां केवल पदक और पदक तालिका में स्थान की नहीं हो रही है बल्कि बात यह है कि क्यों हम राष्ट्रमंडल खेलों की सफलता को एशियन गेम्स में दोहरा नहीं पाते हैं? जबकि राष्ट्रमंडल खेलों में जहां 71 देश भाग लेते हैं तो वहीं एशियन गेम्स में यह संख्या केवल 45 हैं. तब भी ऐसा क्यों?
एशियन गेम्स में कम पदक जीतने का मुख्य कारण है चीन, जापान, कजाखिस्तान, उजबेकिस्तान और कोरियाई देश. इस बार के राष्ट्रमंडल खेलों में हमने 38 स्वर्ण पदक जीते जिसमें से शूटिंग और कुश्ती में ही हमने 24 स्वर्ण पदक जीते. लेकिन जब हम एशियन गेम्स की बात होती है तो इन दो खेलों में दक्षिण कोरियाई पहलवानों और चीन शूटरों का वर्चस्व रहा है. पिछले एशियन गेम्स में चीन ने तो 27 स्वर्ण पदक केवल शूटिंग में जीते थे. इसके अलावा मुक्केबाजी में उजबेकिस्तान के मुक्केबाजों का जवाब नहीं और जब भारत इन देशों के खिलाडियों के साथ प्रतिस्पर्धा करता है तो उसको स्वर्ण जीतने में मुश्किल होती है.
लेकिन शायद इस बार इसमें परिवर्तन आएं, जिसके संकेत हमें पिछली कुछ अंतराष्ट्रीय स्पर्धाओं से मिलने लगे है. जहां हमने बेहतरीन प्रदर्शन किया और कई पदक अपने नाम किए. इसे देख यह कहना कठिन नहीं है कि ‘भले 30 नहीं लेकिन 20 का आकड़ा तो भारत इस बार ज़रूर हासिल कर लेगा.’
Read Comments